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13 बातें जो हमने सीखी एक नवजात शिशु की देखभाल के बारे में

September 21, 2017 by Team Babygogo 2 Comments

जब पहली बार मुझे अपने प्रेगनेंसी टेस्ट के पॉजिटिव होने के बारे में पता चला, तो मैं रोमांचित हो उठी | पहली बार माँ बनने के कारण मेरी ख़ुशी और ज्यादा थी | जैसे की आप में से ज्यातर लोग समझ पाएंगे, हमने भी बच्चों के कपड़े खिलौने और पता नहीं क्या क्या खरीदना शुरू कर दिया | मेरे पति के काम के कारण हम अमेरिका में थे | परिवार के किसी भी सदस्य के आस पास ना होने के कारण हमें सब खुद ही सीखना और करना था |

Navjat Shishu ki Dekhbhal

जैसे जैसे महीने बीते हमारी ख़ुशी और चिंता दोनों ही बढ़ने लगी | अगर आप किसी हिंदुस्तानी परिवार से हो, तो आप जानते ही होंगे की कैसे आपके पुरे परिवार को आपके डिलीवरी की चिंता होती है | मुझे अपने मम्मी पापा के अक्सर फ़ोन आते थे की – ” बेटा तुमसे नहीं हो पायेगा” | कुछ समय के लिए हमने सोचा की इंडिया से किसी को बुला लें, लेकिन फिर हमने जिम्मेदार माँ बाप बनने  का फैसला लिया और सोचा की अपने बच्चे को हम खुद ही पालेंगे |

ये एक मुश्किल काम था | प्रेगनेंसी के नौ महीनों में मैंने मूड सविंग्स, इच्छाएं, हेल्थ इश्यूज, और पता नहीं क्या क्या देखा| जैसे ही कोई नयी परेशानी शुरू होती, तो मुझे अपने घर फ़ोन कर पूछना पड़ता | समय के साथ मैंने लेबर, डिलीवरी और उसके बाद के बारे में पढ़ना शुरू कर दिया और प्रेगनेंसी, में होने वाली आम बातों के बारे में पता चला |

हमारे इस सफर को जिस चीज़ ने सफल बनाया, वो था हमारा एक दूसरे के ऊपर भरोसा | हमने भी बच्चे के आने के बाद कई रातें जाग कर बितायी, थकान भरे लंबे दिन काटे | फिर भी ये हमारे जीवन का एक खूबसूरत समय था | हमने इस समय को बहुत मज़े से बिताया और अपने बच्चे का हमारे जीवन में स्वागत किया |आज हमें गर्व होता है की हमने उसे खुद पालने का फैसला लिया |

मुझे इस दौरान इन्टरनेट से काफी मदद मिली, इसीलिए मैं भी अपना ज्ञान ज़्यादा से ज़्यादा लोगो से बाटने का इरादा किया|

नवजात शिशु की सेहत से सम्बंधित 13 बातें जो मैंने सीखी –

#1 बच्चे को समय पर खिलाएं :-

वैसे तो ये ज़ाहिर सी बात है | माता पिता का सबसे बड़ा कर्तव्य बच्चे को समय पर खिलाना है | एक नवजात शिशु को हर 2-3 घंटों में दूध पिलायें | क्योंकि उसे बड़े होने और वजन बढ़ाने के लिए सही मात्रा में दूध की जरुरत होती है | माँ का दूध इसके लिए सबसे सही विकल्प है |अगर स्तनपान के बारे में आपको कुछ जानना हो तो परिवार के सदस्य या दोस्तों से पूछें और ये लेख पढ़े |

bacche ko samay par khilayein

अगर आप स्तनपान कराती है तो एक स्तन से बच्चे को 10-15 मिनट तक दूध पिलायें | इसे जानने का सबसे आसान तरीका यह है की दूध पिलाने से पहले आपको दोनों स्तन भरे हुए लगेंगे और पिलाने के बाद खाली | शुरू में आप उन्हें 7-12 बार 24 घंटे में दूध पिलायें |

अगर आप फार्मूला मिल्क दे रही हैं तो हर बार उसे 60-90 मिलीलीटर तक दूध पिलायें | फार्मूला मिल्क देने पर इस बात पर नज़र रखना आसान होता है की बच्चे को सही मात्रा में दूध मिल रहा है या नहीं | हर इस्तेमाल के बाद बोतल और निप्पल को उबालें |

जब आपको 6-7 गीले डायपर्स मिलेंगे और उनका पेट समय पर साफ़  होगा, उसे अच्छी नींद आएगी और उसका वजन धीरे धीरे बढ़ेगा |

#2 डकार लेना :-

खाने की प्रक्रिया डकार लिए बिना अधूरी है | इसीलिए आपके बच्चे का खाने के बीच और और खाने के बाद डकार लेना आवश्यक है | इसका कारण ये है की बच्चे खाते समय कई बार हवा भी अंदर ले लेते हैं | इसके कारण उन्हें गैस हो सकती है | डकार लेने के कारण बच्चे के पेट में मौजूद गैस निकल जाती है |

bacche ko dakar dilwana

बच्चे को डकार कैसे  दिलाएं : बच्चे की पीठ पर धीरे से थपकी देने से उसे डकार आती है | डकार दिलाने के किसी भी तरीके को आजमाने से पहले अपनी गोद में कोई कपड़ा रखले, ताकि अगर उनके मुँह से कुछ बाहर आये तो आपके कपडे गंदे ना हो |

  • बच्चे को अपनी छाती के बल पकड़ें :- बच्चे को एक हाथ से पकड़े, बच्चे की ठुड्डी आपके कंधे पर होनी चाहिए |अपने दूसरे हाथ से उसकी पीठ पर थपकी दें |
  • बच्चे को गोद में बिठायें :- बच्चे को अपनी गोद में बिठायें और उसका मुँह दूसरी तरफ रखें | एक हाथ से उसकी पीठ और छाती को अपने हाथ से सहारा दें और उसकी ठुड्डी को अपनी हथेली पर रखें, फिर बच्चे को आगे की तरफ झुकाएं और उसकी पीठ पर थपकी दें |
  • बच्चे  का मुँह निचे कर उसे गोद में लिटाएं :- बच्चे को पेट के बल गोद में लिटाएं और चेहरा निचे करें | उसकी ठुड्डी और जबड़े को एक हाथ से सहारा दें | ध्यान रखें की उसका सर बाकी शरीर से ऊपर हो | धीरे-धीरे उसकी पीठ पर थपकी दें |

#3 नवजात को कैसे संभालें :-

  • बच्चे के सीर का गर्दन को सहारा दें :- बच्चे के गर्दन और सीर को हाथ से सहारा दें | आपके नवजात बच्चे की रीढ़ की हड्डी अभी कमज़ोर और नाजुक होती है और उनका पूरी तरह से विकास नहीं हुआ होता | बच्चे को उठाते समय बच्चे की सीर और गर्दन को एक हाथ से सहारा दें और उसके कूल्हों और बाकी शरीर को दूसरे हाथ से उठाते या लिटाते समय हमेशा बच्चे के सीर को सहारा दें | अगर आपके आस पास किसी को बच्चे को पकड़ना ना आता हो तो उन्हें बताएं की ऐसा कैसे करते हैं |
  • बच्चे को कभी भी ना हिलाएं :- बच्चे को हिलाने से उसके सीर में आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है |और इसके कारण मौत भी हो सकती है | इसीलिए गुस्से या खेल खेल में कभी भी बच्चे को ना हिलाएं |अगर बच्चे को जगाना चाहते हैं तो उसके पैर में गुदगुदी करें या गाल को धीरे से सहलाएं |
  • हाथ धोएं :- बच्चे के हाथ को पकड़ने से पहले हमेशा अपना हाथ धोएं | नवजात बच्चों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है | इसीलिए उन्हें आसानी से इन्फेक्शन हो जाता है | ध्यान रखें की जो लोग भी आपके बच्चे को उठाते हैं, उनके हाथ साफ़ हो |
  • बच्चे को अच्छे से बिठायें :- बच्चे को कार में या कैर्रीयर में अच्छे से बिठाये और बांधें ताकि खराब रास्तों में उन्हें चोट ना लगे |

#4 सुलाना :-

नवजात होने के कारण आपका बच्चा दिन का ज्यादातर समय सोने में बिताता है | वो लगभग 18 घंटे सोता है और और बीच बीच में झपकी लेता है | उसकी नींद बीच बीच में खुलती है जब उसे भूख लगती है या उसके डायपर बदलने का समय होता है |

baccho ka sona

सोते समय बीच बीच में बच्चे के सोने के पोजीशन में बदलाव करते रहें |

एक सबसे अच्छी सलाह जो मुझे मिली वो ये थी की तब सोएं जब आपका बच्चा सो रहा हो | जब बच्चा सो रहा हो तो उसके साथ आप भी आराम करलें, इससे आप ताकत मिलेगी |

#5 बच्चे को डायपर कैसे पहनाएं :-

अमूमन दो तरह के डायपर्स होते हैं | बार बार इस्तेमाल होने वाले कपडे के डायपर्स और डिस्पोजेबल डायपर्स | आप इनमे से किसी का भी इस्तेमाल अपने बच्चे के लिए कर सकती हैं |

bacche ka diaper change krna

लेकिन ध्यान रखें की आपके पास जरुरत के अनुसार डायपर्स हों | और दिन में कम से कम 10 बार डायपर बदलने के लिए तैयार रहें | अपने बच्चे को डायपर पहनाने से पहले सभी जरुरत की चीजें अपने पास रखलें | आपको एक साफ़ डायपर , एक रैश क्रीम (अगर बच्चे को डायपर रैश है तभी), साफ़ और धुले हुए कपडे , डायपर वाइप्स या कॉटन बॉल्स और एक बर्तन में गर्म पानी रखने की जरुरत है |

गंदे और गीले डायपर से बच्चे को परेशानी होती है तो अगर वह रो रही है, इसका मतलब यह है की उसका डायपर गीला है | ऐसी हालात में उसे पीठ के बल लिटा दें और गीले डायपर को निकाल दें | गर्म पानी वाइप्स और धुले कपड़ों की मदद से उसके गुप्तांगों को साफ़ करें | उसके निचले हिस्सों को हमेसा आगे से पीछे की ओर साफ़ करें ताकी उससे यूरिनरी इन्फेक्शन ना हो ! डायपर के बदलने के बाद अपने कपडे धोना ना भूले | लड़के की डायपर बदलते समय यह ध्यान रखें की हवा के स्पर्श के कारण वह पेशाब कर सकता है ! यह भी एक अच्छा उपाय है की डायपर बदलने से पहले आप एक वाटरप्रूफ शीट डाल लें |

जानिये डायपर रैश के बारे में :-

भीगी हुई डायपर और बच्चे की सेंसिटिव स्किन डायपर के कारण होने वाले रैश को एक आम बात हैं | रैशेस होने पर डायपर रैश क्रीम या मलहम और कॉटन की नैप्पी का इस्तेमाल करें |

भारतीय घरों में डायपर रैश क्रीम की जगह सरसों के तेल का इस्तेमाल होता है जो की एक कारगर उपाय है I सौच के तुरंत बाद बच्चे की डायपर बदलें I यह आवश्यक है की बच्चे को बिना डायपर के थोड़ी देर छोड़ दिया जाए ताकी उसके निचले हिस्सों में हवा का स्पर्श हो I यह रैशेस ठीक करने में कारगर सिद्ध होता है |

#6 नहलाते समय :-

पहले तीन हफ्ते बच्चे को सिर्फ स्पंज बाथ कराएं | एक बार उसकी गर्भनाल गिर गयी तो उसे हफ़्तें में 2-3 दिन नहला सकते हैं | खिलाने और डकार दिलाने के बाद उसकी मुँह और गर्दन को साफ़ करें | नहाने से चिड़चिड़े बच्चे और रोते हुए बच्चे शांत हो जाते हैं |

bacche ko nehlana

बच्चे को नहलाने से पहले ध्यान रखें की ये चीजें आपके पास हो :-

1) गुनगुना पानी

2) बच्चों वाला बाथटब

3) बेबी सोप ,बेबी शैम्पू ,बेबी आयल, बेबी क्रीम

4) सॉफ्ट तौलिया या कम्बल नहलाने के बाद बच्चे को लपेटने के लिए

5) साफ़ डायपर या नैप्पी

6) साफ़ कपडे, मोज़े ,टोपी

जब आप अपने बच्चे को नहलाना शुरू करते हैं तो शुरुआत में थोड़ा डरावना हो सकता है | इसमें आप अपने पार्टनर की मदद लें | एक बच्चे को पकड़े और दूसरा नहलाये | जल्द ही आपके बच्चे को नहाने में मज़ा आने लगेगा |

आप बच्चे को बच्चों वाले छोटे बाथ टब में भी नहला सकती हैं | नहलाने से पहले टब को तीन इंच तक गुनगुने पानी से भर लें उसके बाद हाथ के पीछे पानी डालकर चेक करें की पानी कितना गर्म है | गर्म पानी से बच्चे को काफी आराम मिलता है और वो सो जाते हैं |

जब आपका बच्चा कुछ महीने का हो जाए तो उसके साथ नहाएं या अपने पार्टनर से उसके साथ नहाने के लिए कहें | नहाने का समय पिता या बच्चे के लिए स्किन टू स्किन कांटेक्ट का अच्छा समय होता है |

सबसे जरुरी बात नहाते समय बच्चे को एक पल के लिए भी अकेला ना छोड़ें |

#7 नाख़ून काटना :-

नवजात बच्चे के नाख़ून सॉफ्ट होते हैं और जल्दी जल्दी बढ़ते हैं और वो अपने नाखूनों से खुद को नुकशान पहुँचा सकते हैं |

bacche ke nakhun katna

इसीलिए बेहतर है की उनके नाखूनों को छोटा और साफ़ रखा जाए |आप बच्चे को हाथ में मोज़े पहना सकती हैं लेकिन थोड़े बड़े होने पर वो खुद उस मोज़े को खिंच कर निकाल लेगा, इसीलिए बेहतर है की उसके नाखूनों को आप अपने नेल कटर से निकाल दें | आप गोल मुँह वाले नेल कटर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं | और ये करने का सबसे बेहतर समय बच्चे को दूध पिलाते वक़्त या सोते वक़्त है |

#8 गर्भनाल की देखभाल :-

गर्भनाल नवजात बच्चे में काफी महत्वपूर्ण होता है | ध्यान रखें और उसे कभी ना खिंचे नहीं तो वह बिना ठीक हुए बाहर आ सकता है | बच्चे के शरीर में जब तक गर्भनाल जुडी हो, उसे कभी भी पानी में नहीं डुबाना चाहिए जोकि जन्म के लगभग 2-3 हफ्ते तक रहता है | इस समय कॉर्ड स्टंप का रंग पीले से भूरा या काला होता है | लेकिन अगर नाभि वाला हिस्सा लाल होता है या उससे खून निकलता है, तो डॉक्टर की सलाह लें |

इन्फेक्शन से बचाव :-

1) गर्भनाल को साफ़ रखें , उसे संभालने से पहले अपने हाथ की सफाई कर लें | और जबतक कॉर्ड स्टंप ना निकल जाए बच्चे को स्पंज बाथ ही दें |

2) ध्यान रखें की वो हमेशा सूखा रहे ,उसे नैप्पी या डायपर से कवर ना करें |

3) कॉर्ड स्टंप को अपने आप गिरने दें उसके साथ जबरदस्ती ना करें |

4) अगर कॉर्ड स्टंप से पस निकले या खून बहे तो डॉक्टर को दिखाएं |

#9 बच्चे के साथ जुड़ाव और उसे शांत करने की तरीके :-

बच्चे के साथ जुड़ाव एक अहसास है जो आपको बच्चे पे प्यार बरसाने के लिए मजबूर करता है | बच्चे के साथ जुड़ाव का सबसे पहला तरीका है उसे पालने में झुलाना |आप अपने पार्टनर से कह सकते हैं की वो बच्चे के साथ स्किन टू स्किन कांटेक्ट करें या उसका मसाज करें |आपका बच्चा आपको आपके शरीर के स्पर्श और खुशबु से पहचानता है |आपके डॉक्टर आपको स्तनपान कराने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे |

बच्चे को जवाब दें, उसे देखकर मुस्कुराएं, उसे प्यार करें, उसे सीने से लगाएं |

बच्चे के लिए शांत संगीत बजाएं | बच्चे के लिए गाना गायें उससे बात करें | म्यूजिक की आवाज़ कम रखें | झुनझुने का इस्तेमाल भी कर सकती है |

बच्चे को कपड़े से लपेट कर सीने से लगाएं उसे गर्भ में होने का अहसास महसूस होगा |

#10 स्किन टू स्किन कांटेक्ट :-

भारत में स्किन टू स्किन कांटेक्ट ज्यादा प्रचलित नहीं है | स्किन टू स्किन कांटेक्ट अर्थात जन्म के तुरंत बाद बिना नहलाये नवजात बच्चे को सीने से लगाना | यह आपके और आपके बच्चे के बीच पहला स्पर्श होता है |

bacche ke saath skin to skin contact

स्किन टू स्किन कांटेक्ट आपके और आपके बच्चे के बीच बॉन्डिंग से काफी ज्यादा है! यह सिर्फ आपके नवजात बच्चे के लिए ही नहीं बल्कि आपके लिए भी लाभदायक है | आप इसे तब तक करें जब तक आप और आपका बच्चा इसे एन्जॉय करे |

जब आपका बच्चा बेचैन होने लगे तब उससे अपने आप से अलग कर लें |

अपने बच्चे के जन्म से पहले मैंने “स्किन टू स्किन” कांटेक्ट के बारे में कभी नहीं सुना था | उसके जन्म के बाद मैंने पहली बार इसका अनुभव किया | अपने नवजात बच्चे और खुद पर इसका असर देखकर हम आश्चर्यचकित थे | वह पहले से ज्यादा शांत, स्वस्थ और खुश था |

स्किन टू स्किन कांटेक्ट का आपके बच्चे के ऊपर असर :-

#1 बच्चे को ख़ुशी देता है |

#2 शरीर के तापमान को स्थिर करता है |

#3 हृदय और सांस की गति को स्थिर करता है |

#4स्तनपान को बच्चे और माँ के लिए आसान कर देता है |

#5 चैन की नींद सोने में मदद करता है |

#6 बच्चे और माँ के बीच सम्बन्ध सुधारता है |

#7 माँ में बच्चे के जन्म के बाद होने वाले डिप्रेशन को कम करता है |

#11 बेबी मसाज :-

मसाज बच्चे के साथ जुड़ाव का एक बहोत ही अच्छा तरीका है | ये बच्चे को शांत करता है और सोने में उसकी मदद करता है | इसके  अलावा खून के बहाब को बढ़ाता है और पाचन शक्ति को भी बढ़ाता है | मसाज करने के लिए बेबी आयल या मोइस्चुराइज़र का इस्तेमाल करें | मसाज करते समय बच्चे से बात करते रहें और उसकी आँखों में देखते रहें |

नहाने से पहले या सोने से पहले बच्चे का मसाज करें |

#12 टमी टाइम :-

बच्चे को हर दिन टमी टाइम देना जरुरी है | बच्चे को दिन में थोड़ी देर उसके पेट के बल लिटाएं | जब बच्चा पेट के बल लेटता है तो हर तरफ देखता है |

bacche ke liye tummy time

सर के घूमने से उसकी खोपडी, मसल्स, गर्दन, कन्धों और आँखों के मसल्स का विकास होता है | ये बच्चे के साथ खेलने का अच्छा समय होता है | शुरुआत में 3-5 मिनट का टम्मी टाइम दें उसके बाद 40-60 मिनट प्रतिदिन |

#13 मदद स्वीकार करें :-

जब आपके दोस्त या रिश्तेदार आपकी मदद करें तो इसे खुले दिल से स्वीकार करें | और उन्हें बताएं की वो कैसे आपकी मदद कर सकते हैं | बच्चे के जन्म के बाद अपना भी ध्यान रखें |

निष्कर्ष :-

मुझे लगता है बच्चे के जन्म के बाद की मेरी सीखें दूसरी माओं की मदद करेगी | जैसे जैसे दिन बीतेंगे आप बच्चे को संभालने में अधिक सज्ज महसूस करेंगी |आपके साथी की मदद एक अहम् किरदार निभाएगी |

जब भी आपको बच्चे को लेकर कोई चिंता हो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें | अगर आप के मन में कोई सवाल है या आप किसी चीज़ के बारे में और जानकारी चाहते है तो हमे नीचे कमैंट्स में ज़रूर बताये |

Categories: देखभाल Tagged With: baby care, indian parenting, newborn, newborn care, Parenting

Comments

  1. AvatarSuraj says

    September 23, 2018 at 5:00 pm

    Hi mam
    kIsE ooo aap
    Mam mujhe bus aap se itna hi puch nA hy ki
    Mere ladki ki kaan me Toda Toda white white color me Kuch niklta hy
    Pr use dard nahi mesus krta
    Or dud b pita hy or soota b accha hy

    Reply
  2. AvatarHiru says

    May 15, 2018 at 9:56 pm

    Meto baby 4 month ki hai vo apni gardan aek side hi ghumatihai.me kya karu

    Reply

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