किसी बच्चे को हिंदुस्तान में पालने के बहुत सारे फायदे हैं| आपको इसमें अपनी माँ बहनें और ननद की मदद मिलती है, चाचा चाचियों की मदद मिलती है, और कई रिश्तेदारों की भी | इनके आलावा प्रेगनेंसी के दौरान आपसे जो भी लोग मिलते हैं वो सब किसी ना किसी रूप में आप की मदद करने की कोशिश करते है | आज कल तो कई पति भी अपनी पत्नियों की काफी मदद करते हैं |
लेकिन इतनी मदद मिलने के साथ ही आपको कई अनचाही सलाह भी दी जाती है | अनाधिकारिक तौर पर हिंदुस्तान में सभी डॉक्टर होते हैं और सब आपको बताते हैं की आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं | भारतीय तौर तरीकों का बच्चे के पालन पोषण पर एक गहरा असर होता है और इस बीच हम बच्चे पालने के सही तरीको को कई बार भूल जाते हैं |
हम हिंदुस्तानियों की कुछ आदतें जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं हैं:-
हम अपने आपको आधुनिक मानते हैं लेकिन हम आज भी कई ऐसी परम्पराओं का पालन करते हैं जो हमारे बच्चों को फायदे से ज्यादा नुक्सान करती हैं । ऐसा लगता है की कई बार हम अपने आप को खुद ही बेवकूफ बना रहे हैं |
यहां कुछ पुराने तरीके बताये गए हैं जो हमें मानना तुरंत बंद कर देना चाहिए :-
#1 बच्चे को एक साल की उम्र से पहले शहद खिलाना –
मैं मानता हूँ की हमने अपने बच्चे के जनम पर उसे शहद चटाया था, जो हमारी हिंदुस्तानी परंपरा का एक अंश माना जाता है और इसे हम “जन्म घुट्टी” कहते हैं | ऐसा माना जाता है की परिवार का कोई सदस्य बच्चे को शहद चटायेगा और ऐसा कराने से बच्चा बड़ा होकर उसी की तरह हो जायेगा जो ये रस्म निभाएगा |
हमने भी हमारे परिवार की बात सुनी और बच्चे को शहद खिलाया | लेकिन एक साल से कम उम्र के बबाद में डॉक्टर ने हमें बताया की बच्चों में शहद के कारण बोटूलिस्म नाम की बीमारी की आशंका होती है | हम खुशनसीब थे की हमारे बच्चे को कुछ नहीं हुआ| फिर हमने एक साल से कम उम्र के बच्चों पर शहद के कारण पड़ने वाले गलत असर के बारे में पढ़ा और इसके बाद हमने एक साल से पहले अपने बच्चे को किसी भी प्रकार से शहद देना बिलकुल बंद कर दिया |
(एक्स्ट्रा टिप :- कभी भी शहद को सीधे आँच पर गर्म ना करें इसका शरीर के ऊपर गलत असर होता है |)
#2 जन्म के बाद कुछ दिनों तक स्तनपान ना कराना –
माँ का पहला दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम होता है और उसकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है | भाग्यवश हमारे परिवार में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन हमारे शहर में कई लोगों के यहां ये रिवाज़ है की जन्म के बाद कुछ दिनों तक बच्चे को माँ के दूध से दूर रखना है | वे माँ के साथ कुछ रस्में करना चाहते हैं जिसके बाद ही माँ बच्चे को दूध पिला सकती हैं |
आप किसी भी डॉक्टर से पूछ लीजिये ये निहायत बेफ़कूफी हैं | मेरी समझ में नहीं आता की ऐसे तर्कहीन रस्मों को क्यों माना जाता है |
#3 गाय का दूध पिलाना (और ये सोच की ये हल्का और पवित्र है) –
एक वक़्त था जब भारत में बच्चे को माँ के दूध के साथ साथ गाय का भी दूध दिया जाता था | पता नहीं ये उस वक़्त भी कितना कारगर था लेकिन आज की दौर में गायों को केमिकल्स वाला खाना दिया जाता है और और दूध के उत्पाद को बढ़ाने के लिए दवाइयाँ भी दी जाती हैं |
इसलिए आज के दौर में अपने नवजात बच्चे को गाय का दूध देने का कोई मतलब नहीं है |अगर आप बच्चे को अच्छी सेहत देना चाहते हैं तो उसे कम से कम 6 महीने तक सिर्फ माँ का दूध पिलायें जब तक वो दूसरी चीज़ें खाना ना शुरू कर दे | अगर आप अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पा रही तो उसे गाय के दूध के बजाये फार्मूला पाउडर देना शुरू करें | लेकिन पहले एक बार डॉक्टर की राय अवश्य लें |
#4 छोटे बच्चे को अनाज खिलाना –
आदर्श तौर से आपको तब तक इंतज़ार करना चाहिए जब तक आपका बच्चा पूरी तरह से बैठने ना लगे |
काफी सारे बच्चे 6 महीने की उम्र के बाद अनाज खाना शुरू कर देते हैं लेकिन उम्र अकेले ही ये तय करने का सही पैमाना नहीं है | बच्चे के शारीरिक विकास को देखें और उसके बाद ही फैसला लें |
#5 बहुत ज्यादा मीठी तीखी या मसालेदार चीजें खिलाना –
हमें लगता है हमारा बच्चा हमसे ज्यादा हिंदुस्तानी है और वो मीठी और तीखी चीजें खाने के लिए ही पैदा हुआ है |
इस बात को समझे की एक साल की उम्र से पहले बच्चे को अलग से भी मीठे या तीखे की जरुरत नहीं पड़ती | हम माँ-बाप होकर बचपन में ही बच्चे को मीठी और तीखी चीजें खाने की आदत लगा देते हैं जो की उसके खाने की आदतों के लिए सही नहीं है |
#6 आवश्यकता से अधिक बेबी पाउडर लगाना –
मैंने कई माओं को देखा है जो हर एक घंटे बाद बच्चे को बेबी पाउडर लगाती हैं, खासकर गर्मियों में |
पाउडर सॉफ्ट होते हैं और बच्चे को पसीने और रैशेस से बचाते हैं लेकिन जरुरत से ज्यादा पाउडर बच्चे को नुक्सान पहुँचा सकते हैं | चाहे आप किसी भी ब्रांड के पाउडर का इस्तेमाल करें, थोड़ी केमिकल की मात्रा सभी में होती है जो की बच्चे के लिए अच्छा नहीं होता है |
#8 बेसन और आटे की मदद से शरीर के बाल निकालने की कोशिश करना –
कई सारे बच्चों के शरीर पर जन्म के समय काफी बाल होते हैं | ये समय के साथ चले जाते हैं | लेकिन हम भारतीय ये अनचाहे बाल उनके सर कान और पीठ पर नहीं देखना चाहते | और इसलिए हम में से कई लोग बच्चे के शरीर को आटे से स्क्रब करते हैं ताकि उसके शरीर से अनचाहे बाल चले जाएँ |
सच्चाई ये है की ये अतिरिक्त बाल आपके बच्चे के शरीर को कोई नुक्सान नहीं पहुचाते लेकिन आटे का इस्तेमाल करके आप बच्चे को नुक्सान पहुँचा सकते हैं, इसीलिए ऐसा ना करें |
आपके और मेरे बीच की बात –
पेरेंटिंग एक निरंतर सीखते रहने की प्रक्रिया है | मैंने भी समय के साथ ही सब सीखा है | मेरे दोस्तों और इंटरनेट ने मेरी इसमें काफी सहायता की है | अगर इस लेख से आपको कोई मदद मिली है तो इसे दूसरे तक भी पहुँचाये एवं अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप, फेसबुक वाल या ईमेल द्वारा इसे शेयर करें |
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Plz baby bath products ke bare mein btye ki kon se brand ke use krne chye
Hi Usha,
Hum puri koshish karenge ki jald hi aap ko baby bath products se related jaankaari Hindi me de paaye. Lekin abhi ke liye agar aap english me iss baare me jaankari lena chaahe to ye article zaroor dekhiye- https://www.babygogo.in/bathtub-for-baby/ . Aap koi aur sawaal karna chaahe to wo bhi zaroor puchiye. Happy Parenting 😀