जब भी महिला गर्भ धारण करती है तब सिर्फ वही नहीं अपितु उसका पूरा परिवार भी आने वाले मेहमान के लिए तैयारियों में जुट जाता है। कुछ तैयारियाँ शिशु की जरूरत के अनुसार की जाती है और कुछ हमारे हिंदू समाज में पारंपरिक रिवाज से भी की जाती है। उन्हीं पारंपरिक रिवाजों में से एक रस्म है वह है गोद भराई की।
हिंदू और सनातन धर्म में मनुष्य जीवन के लिए 16 संस्कार जरूरी माने जाते हैं और यह सोलह संस्कार मनुष्य को जन्म से लेकर मृत्यु तक पूरे करने होते हैं या यूं कहें कि मनुष्य का जीवन इन 16 संस्कारों के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है।
जब एक महिला गर्भ धारण करती है तब से शिशु के लिए इन संस्कारों का सिलसिला शुरू हो जाता है और यह उसकी अंत्येष्टि तक चलते रहते हैं। हमारी यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है जिनका पालन हम करते हैं। तो आइए जानते हैं इस लेख में गोद भराई से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
गोद भराई क्या है?
सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि गोद भराई की रस्म क्या होती है। गोद भराई की रस्म गर्भावस्था के दौरान निभाई जाने वाली यह एक ऐसी रीत है जिसमें अजन्मे शिशु का परिवार में स्वागत करने के साथ-साथ गर्भवती माँ को मातृत्व की ढेरों खुशियों का आशीर्वाद दिया जाता है। गोद भराई शब्द का मूल अर्थ है गोद को प्रचुरता से भरना अर्थात गर्भवती महिला को और उसके होने वाले बच्चे को स्वस्थ काया व खूब ख़ुशियाँ मिले।
गोद भराई कब की जाती है?
गोद भराई की रस्म वैसे तो गर्भावस्था के सातवें महीने में की जाती है परंतु यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि गर्भवती महिला कौन से समुदाय से संबंध रखती है। कुछ परिवार वाले तो महिला की गर्भावस्था के 7 महीने पूरे होने पर काफी अच्छा समारोह मनाते हैं क्योंकि सातवें महीने के बाद यह माना जाता है कि अब शिशु और मां एक सुरक्षित चरण में पहुंच चुके हैं। तो वही कुछ इस रस्म को आठवें महीने मे भी निभाते हैं।
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गोद भराई कैसे की जाती है?
हमारा देश में अलग-अलग भाषा और अलग-अलग रीति-रिवाज है। इसलिए देश के विभिन्न हिस्सों में गोद भराई की रस्म भी विभिन्न क्षेत्रों व समुदायों के लोगों द्वारा बनाए जाने वाले अपने-अपने रीति-रिवाजों पर निर्भर करती है। परंतु उन सबका सार एक ही होता है अजन्मे शिशु को आशीर्वाद देना और गर्भवती मां को दुआएं और उपहार देना।
भारत में इस रस्म के अलग-अलग क्षेत्रों में नाम भी अलग-अलग होते हैं जैसे केरल में इस रस्म को सीमाथाम और बंगाल में शाद कहते हैं। परंपरागत रूप से इस कार्यक्रम में सिर्फ महिलाएं ही शामिल होती है।
इस समारोह से पहले एक पूजा भी की जाती है और परिवार की बड़ी बुजुर्ग महिलाओं द्वारा गर्भवती महिला का खास तेल से अभिषेक किया जाता है। फिर उसे गर्भवती महिला को विशेष साड़ी पहनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। इस दौरान गर्भवती महिला को आभूषणों से भी सजाया जाता है और नई-नई चूड़ियां पहनाई जाती है।
गर्भवती महिला की झोली उपहारों, फलों और मिठाइयों से भर दी जाती है। घर की बड़ी बुजुर्ग महिलाएं माँ और बच्चे दोनों को आशीर्वाद देती है। उस दिन गर्भवती महिला का खास ध्यान रखा जाता है और व्यंजन भी उसकी पसंद के बनाए जाते हैं। गोद भराई का उत्सव बहुत उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। इसमें नाच गाना, मौज मस्ती सब होता है।
गोद भराई का महत्व
भारतीय परंपरा के अनुसार कुछ लोग गर्भावस्था के दौरान इसे सातवें या आठवें महीने में सिर्फ एक परंपरा के रूप से निभाते हैं परंतु इस संस्कार के पीछे जो खास महत्व है उससे बहुत लोग अनभिज्ञ है क्योंकि इसका उद्देश्य बिल्कुल अलग है। आज हम आपको यहां गोद भराई का महत्व समझायेंगे और यह बताएंगे कि यह क्यों जरूरी होती है। तो आइए जानते हैं गोद भराई का महत्व:
- जब महिला अपनी गर्भावस्था के सातवें महीने में प्रवेश कतर लेती है तो इसका मतलब होता है की अब माँ और बच्चा दोनों सुरक्षित अवस्था में पहुँच चुके है और उसी की ख़ुशी में इसे मनाया जाता है।
- इस रस्म के दौरान परिवार के सभी बुजुर्ग स्त्री और सभी परिवार वाले महिला के होने वाले बच्चे और माँ दोनों को आशीर्वाद देते हैं। इस कारण यह रस्म और खास हो जाती है।
- अच्छे स्वास्थ्य की कामना दरअसल इस गोद भराई की रस्म का एक मुख्य उद्देश्य होता है। इस दिन होने वाली एक पूजा गर्भ के दोष को भी समाप्त करती है।
- रस्म के दौरान गर्भवती महिला को गोद में फल और सूखे मेवे दिए जाते हैं और यह सभी खाद्य पदार्थ उसके लिए पोष्टिक होते हैं। यह देने का उद्देश्य एक ही होता है कि गर्भवती महिला इन्हें ग्रहण करें ताकि माँ और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य सही रहे।
- ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ खाने से प्रसव होने में आसानी रहती है। यही कारण है कि गर्भवती महिला को गोद भराई में वसायुक्त खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं।
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- हिंदू परंपरा के अनुसार एक यह भी विधान है कि गोद भराई की रस्म के बाद गर्भवती महिला को उसके मायके भेज दिया जाता है क्योंकि मायके में रह कर गर्भवती महिला को पूर्ण रूप से आराम मिल जाता है। यह भी गोद भराई का एक खास महत्व है।
- इस दौरान होने वाली माँ कई तरह के तनाव से भी भरी होती है और इस रस्म के कारण उसे खुशी का अनुभव होता है।
गोद भराई पर मां के लिए जरूरी टिप्स
गोद भराई एक ऐसी रस्म है जिसमें आपका पूरा परिवार आपके आने वाले बच्चे की खुशी में जश्न मनाता है। यह समारोह गर्भवती महिला को खूब सारी खुशियां और दुआएं देने का बढ़िया अवसर होता है परंतु पूरे दिन की रस्मो रिवाज के बीच में गर्भवती महिला को थकान भी हो जाती है। आपके इस विशेष दिन का पूरा आनंद लेने के लिए कुछ सुझाव नीचे दिए गए हैं ताकि आप आराम से इस दिन को एन्जॉय कर सकें।
#1. पूर्ण आराम करें
गर्भवती महिला को चाहिए कि वह इस रस्म से पहले पर्याप्त आराम कर ले क्योंकि इस दौरान आपको काफी थकान हो सकती है।
#2. कपड़ों का ध्यान रखें
आप इस अवसर को लेकर काफी उत्साहित होंगी इसलिए आप फंक्शन के लिए काफी भारी साड़ी और गहने तैयार करती होंगी परंतु आप ऐसा ना करें। आप मौसम के अनुसार ही कपड़ों का चयन करें। ऐसे कपड़े ना पहने जिसमें आप असहज महसूस करें। आप ज्यादा भारी कपड़े और ज्वेलरी भी ना पहने और रेशम के परिधानों से भी बचे।
#3. खुद को हाइड्रेट रखें
इस समारोह के दौरान आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसलिए आप अपने आपको हाइड्रेट रखें और शरीर में पानी की कमी ना होने दें।
#4. खाने पीने का ध्यान रखें
गोद भराई में तैयार किए जाने वाला भोज काफी विस्तृत होते है। इसमें मिठाइयां और तले हुए चटपटे व्यंजन भी बहुत होते हैं। आप यह कोशिश करें कि ऐसे व्यंजन कम मात्रा में खाएं। अगर आपका पेट भर गया हो या फिर आपका मन ना कर रहा हो तो परिवार वालों को नम्रता पूर्वक मना कर दें। वरना आपका पेट खराब हो सकता है और आपको कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
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#5. समारोह को खास बनाए
आप भी अपने इस प्रोग्राम को खास बनाने के लिए पहले ही तैयारी कर सकती हैं जैसे कि आप आए हुए मेहमानों के लिए मनोरंजन के तौर पर गानों की लिस्ट बनाकर रखें और जब प्रोग्राम शुरू हो जाए तब उन गानों को चला दे। आप आए हुए मेहमानों के लिए भी मेहंदी लगाने वाले को बुलाकर उनके हाथों में मेहंदी के डिजाइन बनवा सकती है।
#6. रिटर्न गिफ्ट दें
आप अपने समारोह में आए मेहमानों का धन्यवाद देने के लिए उन्हें दुपट्टे, चुनरी, सुंदर-सुंदर चूड़ियां, इत्र की बोतल या फिर कोई अन्य सौंदर्य प्रसाधन आदि दे सकती हैं।
#7. घर की सजावट
गोद भराई की रस्म के अवसर पर आप अपने घर को खिलौनों से सजा सकती हैं। इसके लिए आप गुब्बारे, गुड्डे गुड़ियां, कार, बैट बॉल, छोटे बच्चों के हिसाब से चीजों का इस्तेमाल कर सकती है या आप कोई थीम जैसे बेबी पिंक थीम या कमिंग सून थीम का भी आयोजन कर सकती हैं। आप अपने समारोह को और खास बनाने के लिए बच्चों, बड़ों के लिए खेल का आयोजन भी कर सकती है।
गोद भराई के बारें में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गोद भराई के लिए तैयार कैसे हो?
अक्सर गर्भवती महिलाओं के मन में यही सवाल होता है कि अपने इस खास अवसर के लिए वह कैसे तैयार हो। कौन से खास कपड़े पहने, कैसा मेकअप करें इत्यादि। यही सवाल हर महिला के मन में रहते हैं परंतु आपको ऐसे ही कपड़े और ज्वेलरी पहननी चाहिए जिसमें आप सहज महसूस करें और आपको किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े। आपको हल्का ही मेकअप करना चाहिए। आप हल्के मेकअप के साथ बालों में गजरा भी लगा सकती हैं और गर्मी के मौसम में तो आप अपना खास ध्यान रखें।
क्या गोद भराई दूसरे बच्चे के होने पर भी की जाती है?
हां, दूसरे बच्चे के समय भी आप गोद भराई की रस्म कर सकती हैं।
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