Babygogo
by SHEROES
About Us
Write for Us
  • EnglishEnglish

Babygogo

Ask Baby Health Experts

  • Feed
  • Learn
    • Baby
    • During Pregnancy
    • Post-Pregnancy
    • Parenting & Family
  • Q&A

सामान्य प्रसव के बारे में A टू Z जानकारी

September 9, 2019 by Anju Bansal Leave a Comment

samanya prasav

एक महिला को जब यह पता चलता है कि वह गर्भवती है खासकर जब उसका पहला गर्भधारण होता है तो वह उसी दिन से सपने बोना शुरू कर देती है। वह हर उन छोटे-छोटे अनुभवों का बेसब्री से प्रतीक्षा करती है कि कब उसका बच्चा इस दुनिया में आएगा और वह उसका चेहरा देखकर उसे प्यार से अपने सीने से लगाने का व उसको स्पर्श करने का पल अनुभव करेगी।

इन सब खुशियों के साथ-साथ गर्भवती महिला को यह चिंता भी रहती है कि उसका प्रसव कैसे होगा, उसे कौन सा प्रसव होगा, गर्भावस्था के दौरान उसे क्या करना है व क्या नहीं। ऐसे बहुत से प्रश्न होते हैं जो हर गर्भवती महिला को परेशान करते हैं खासकर उन महिलाओं को जो पहली बार मां बनने जा रही होती है।

तो अब आप घबराएं नहीं, हम आपको इस लेख में उन सब प्रश्नों के उत्तर देंगे व पूरी-पूरी कोशिश करेंगे कि आपको अपने सामान्य प्रसव के बारे में संपूर्ण जानकारी हो।

सामान्य प्रसव क्या होता है?

सबसे पहले यह जानने की आवश्यकता है कि सामान्य प्रसव होता क्या है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें महिला की योनि के माध्यम से शिशु बाहर आता है। उस समय ग्रीवा सामान्य से बड़ी हो जाती है उसके बाद शिशु बाहर आ सकता है।

अब यह सवाल आपके मन में उठता होगा कि सामान्य प्रसव कितने प्रकार के होते हैं। इसके बारे में विस्तार से जानते है।

सामान्य प्रसव के प्रकार (normal delivery kitni tarah ki hoti hai)

यह 2 प्रकार के होते हैं:

#1. प्राकृतिक चाइल्डबर्थ

सामान्य प्रसव का यह एक ऐसा तरीका है जिसमें गर्भवती महिला को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से तैयार होना पड़ता है क्योंकि इसमें दर्द को कम करने के लिए किसी भी प्रकार की दवा या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें महिला होने वाले दर्द और दबाव दोनों को सहन करके ही शिशु को जन्म देती है।

#2. एपीड्यूरल चाइल्डबर्थ

इसमें गर्भवती महिला की रीड की हड्डी में इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे प्रसव का दर्द कम हो जाता है। इसके लाभ और हानियां दोनों है। इसमें दर्द ना होने के कारण महिला सही से इस बात का पता नहीं लगा पाती कि उसे शिशु को बाहर निकालने के लिए कब और कितना पुश करना है। इससे प्रसव के समय में भी बढ़ोतरी हो जाती है।

इसे भी पढ़ें: गर्भावस्था में सफेद पानी आने के ऊपर सम्पूर्ण जानकारी

सामान्य प्रसव का समय

आमतौर पर सामान्य प्रसव में लगने वाला समय गर्भवती महिला की शारीरिक अवस्था पर निर्भर करता है। अगर गर्भवती महिला का पहली बार सामान्य प्रसव होने जा रहा है तो इस प्रक्रिया में 7 से 8 घंटे तक का समय लग सकता है वहीं अगर गर्भवती महिला का यह दूसरा सामान्य प्रसव है तो उस प्रक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है।

प्रेगनेंसी में नार्मल डिलीवरी कैसे होती है?

सामान्य प्रसव की प्रक्रिया को कुल तीन चरणों में बांटते हैं और इसमें पहले चरण को भी तीन अलग-अलग भागों में बांटा गया है।

सामान्य प्रसव का पहला चरण

लेटेट प्रक्रिया: सामान्य प्रसव में लेटेट की प्रक्रिया लंबे समय तक चलती है। इसमें गर्भाशय ग्रीवा 3 सेंटीमीटर तक खुल सकती है और यह प्रक्रिया प्रसव के 1 सप्ताह पहले या फिर कुछ घंटे पहले शुरू हो सकती है। इस दौरान गर्भवती महिला को बीच-बीच में संकुचन भी हो सकता है।

एक्टिव प्रक्रिया: इस प्रक्रिया में गर्भाशय ग्रीवा 3 से 7 सेंटीमीटर तक खुल जाती है। इस दौरान संकुचन की वजह से महिला को तेज दर्द होता है।

ट्रांजिशन प्रक्रिया: इस प्रक्रिया में गर्भाशय ग्रीवा 8 से 10 सेंटीमीटर तक खुल जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान संकुचन लगातार होने से दर्द भी बढ़ जाता हैं।

सामान्य प्रसव का दूसरा चरण

इस चरण में शिशु बाहर आता है। इस दौरान गर्भाशय ग्रीवा पूरी तरह खुल जाती है और संकुचन की गति भी काफी तेज हो जाती है। इस चरण में शिशु का सिर भी पूरी तरह से नीचे आ जाता है। इस समय डॉक्टर गर्भवती महिला को स्वयं से जोर लगाने को कहते हैं क्योंकि ऐसा करने से शिशु का सिर बाहर आ जाता है। फिर उसके बाद डॉक्टर शिशु के बाकी शरीर को बाहर निकाल देते हैं। यह समय महिला के लिए सबसे कठिन समय होता है।

सामान्य प्रसव का तीसरा चरण

इस चरण में गर्भनाल का बाहर आना होता है। इसमे शिशु के बाहर आने के बाद अब गर्भनाल के बाहर आने की बारी होती है। जब वह बाहर आ जाती है तब तीसरा चरण पूरा हो जाता है। इसमें कई बार दर्द भी होता है और अधिक समय भी लग जाता है लेकिन सामान्य प्रसव में इसके बाहर आने में 15 मिनट से अधिक समय नहीं लगता है। यह प्रक्रिया भी पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया है।

नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण

#1. शिशु का नीचे की ओर खिसकना

प्रसव का समय नजदीक आने पर शिशु गर्भ में बिल्कुल निचले हिस्से में मौजूद पेल्विक क्षेत्र की ओर खिसकने लगता है। शिशु के नीचे खिसकने व सिर के नीचे आने में पेट के निचले हिस्से में दबाव पड़ने लगता है। यह सामान्य प्रसव की निशानी है। जब शिशु नीचे की ओर आ जाता है तो महिला चलने फिरने में भी असमर्थ होने लगती है। उसे ऐसा महसूस होने लगेगा कि जैसे शिशु योनि के द्वार के पास पहुंच गया हो। उसे पेट में हल्का पल भी भी महसूस होने लगता है।

#2. पानी निकलना

पानी निकलना भी सामान्य प्रसव की निशानी है। इसमें गर्भवती महिला को योनि से पानी जैसा तरल पदार्थ निकलने लगता है। यह कई बार कम निकलता है तो कई बार इसकी मात्रा ज्यादा हो जाती है लेकिन अगर जरूरत से ज्यादा पानी निकलने लगे तो इसका मतलब है कि पानी की थैली फट गई है। पानी की थैली का फटना यह संकेत करता है कि लेबर पेन शुरू होने वाला है। इसलिए पानी की थैली फटते ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इस दौरान यह तरल गुलाबी या खून के रंग की तरह भी हो सकता है।

#3. संकुचन तेज होना

संकुचन की गति का बढ़ना भी प्रसव पीड़ा का सबसे बड़ा संकेत माना जाता है। शुरुआत में संकुचन की गति धीरे-धीरे बढ़ती है परंतु प्रसव का समय नजदीक आने पर यह गति तेजी से बढ़ती है। गर्भवती महिला को एक अलग तरह का संकुचन महसूस हो सकता है जिसे पोड्रोमल लेबर कहा जाता है।

इसे भी पढ़ें: प्रेगनेंसी का मतलब सेक्स का अंत नहीं है

#4. ग्रीवा में बदलाव

गर्भाशय के मुख को ग्रीवा कहते हैं। प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला की ग्रीवा पतली होकर फैलने लगती है। यह इस बात का संकेत होता है कि गर्भवती महिला का गर्भाशय का निचला भाग प्रसव के लिए तैयार हो चुका है।

#5. स्तनों में सूजन

सामान्य प्रसव के दौरान गर्भवती महिला के स्तनों में भी सूजन आ जाती है। उसे पीठ के पिछले हिस्से में भी दर्द होता है।

#6. पेट खराब होना

प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला को पेट खराब होने की समस्या भी बढ़ जाती है या यूं कहे कि महिला को कब्ज, डायरिया, मरोड़ इत्यादि पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती है।

#7. बहुत नींद आना

जैसे-जैसे यह समय नजदीक आता है तो गर्भवती महिला को ज्यादा नींद आने लगती है। इस दौरान महिलाओं को कमजोरी भी महसूस होने लगती है और उनका बार-बार सोने का भी मन करता है परंतु इसके साथ ही उन्हें नींद आने में परेशानी भी होती है क्योंकि प्रसव के समय नजदीक होने के कारण उन्हें बेचैनी रहने लगती है। यह लक्षण प्रसव के साथ-साथ लेबर पेन के भी संकेत देता है।

#8. जोड़ों और मांसपेशियों में खिंचाव होना

प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिलाओं को अपनी मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव महसूस होने लगता है। यह भी प्रसव और लेबर पेन शुरू होने की निशानी है।

#9. वजन घटना या बढ़ना

इस दौरान गर्भवती महिलाओं का वजन या तो अचानक से बढ़ जाता हैं या फिर घट जाता हैं। यह एक आम लक्षण है परंतु इसका शिशु के वजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। गर्भवती महिला के वजन में होने वाला यह उतार-चढ़ाव प्रसव का समय और नजदीक आने की निशानी है।

#10. मन में परिवर्तन होना

गर्भवती महिलाओं का प्रसव का समय जैसे-जैसे पास आता है उनको मूड स्विंग्स या मन में परिवर्तन होने जैसी चीजें बहुत ज्यादा होने लगती है। कभी-कभी वे एकदम से भावुक हो जाती है तो कभी-कभी चिड़चिड़ी। यह सब मन का परिवर्तन शिशु के जन्म से पहले उन्हें होने वाले हार्मोन के बदलाव के संकेत देता है। जब ऐसा होने लगे तो समझ लीजिए कि लेबर पेन शुरू होने वाला है।

सामान्य प्रसव और सिजेरियन प्रसव में अंतर (cesarean delivery aur normal delivery mein kya antar hai)

  • सामान्य प्रसव में महिला 12 से 48 घंटे के अंदर घर जाने में सक्षम हो जाती है लेकिन सिजेरियन प्रसव के बाद महिला को 4 से 5 दिन का समय लग सकता है।
  • सिजेरियन प्रसव में ऑपरेशन वाली जगह पर महिला को कुछ महीनों से लेकर कई सालों तक दर्द रह सकता है परंतु सामान्य प्रश्न में ऐसा कुछ भी नहीं होता है।
  • सिजेरियन प्रसव में शिशु की डिलीवरी का दिन और समय निर्धारित होता है जिससे माँ पहले से ही सब तैयारियां कर लेती है किंतु सामान्य प्रसव में शिशु का जन्म का दिन व समय निर्धारित नहीं होता है।
  • सिजेरियन प्रसव में महिला शिशु को प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान कराने में सक्षम नहीं होती है जबकि सामान्य प्रसव में शिशु को अपनी माँ के साथ प्रारंभिक संपर्क उसके मुकाबले थोड़ा पहले मिल जाता है और महिला भी अपने शिशु को स्तनपान करवाना शुरू कर सकती है।

इसे भी पढ़ें: कैसे बढ़ रहा है आपका बेबी गर्भ में – महीने दर महीने

  • सिजेरियन प्रसव में रिकवरी प्रोसेस बढ़ जाता है जबकि सामान्य प्रसव में यह कम दिनों का होता है।
  • सामान्य प्रसव में महिला उस दौरान काफी पीड़ा सहन करती है जबकि सिजेरियन में उसको कम पीड़ा सहनी पड़ती है।
  • अगर महिला का पहला बच्चा सिजेरियन प्रसव से हुआ है तो आगे होने वाले बच्चे के लिए भी सिजेरियन प्रसव की संभावना बढ़ जाती है।
  • सामान्य प्रसव में महिला को खून की कमी का खतरा बना रहता है।
  • सामान्य प्रसव के बाद महिला को गुदा और योनि के बीच का भाग जिसे पेरीनेम कहते हैं इसमें दर्द रहने की समस्या हो सकती है।
  • जो शिशु योनि मार्ग से जन्म लेते हैं उन शिशुओं को जीवाणुओं की एक अच्छी खुराक मिल जाती है जो शिशुओं को संक्रमण से बचाती है और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है।

महिलाओ को नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या क्या करना चाहिए जानिए

#1. तनावमुक्त रहें

सामान्य प्रसाद की इच्छा रखने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान तनाव से दूर रहने के प्रयास करने चाहिए। इसके लिए वे ध्यान लगा सकती है, मधुर संगीत सुन सकती हैं या फिर कोई शिक्षाप्रद किताबें या धार्मिक किताबें भी पढ़ सकती हैं।

#2. नकारात्मकता से दूर रहे

गर्भावस्था के दौरान महिला को नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए। उन्हें लोगों के दौरान सुनी सुनाई बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हर महिला का अपना एक अलग अनुभव होता है। इसलिए किसी महिला का अनुभव बुरा है तो उसका डर आप अपने मन में ना पैदा होने दे। इसके लिए आप अपने आसपास सकारात्मकता का माहौल बनाने के लिए अच्छे लोगों के संपर्क में रहें, धार्मिक किताबें पढ़ें व सकारात्मक कहानियों और मूवीस को देखें। आपके अंदर जितना ज्यादा सकारात्मकता उत्पन्न होगी या भावनात्मक रूप से मजबूत होंगी तो आपके सामान्य प्रसव की संभावना उतनी ही बढ़ेगी।

#3. स्वस्थ रहें

इससे पहले हर गर्भवती महिला को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अब पूरी तरह से स्वस्थ हो। आपको किसी भी प्रकार की कोई बीमारी या कोई कमी नहीं होनी चाहिए। आपको यह पता होना चाहिए कि सामान्य प्रसव में आपको बहुत दर्द होने वाला है। इसलिए आपका स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है।

#4. पौष्टिक व संतुलित आहार ले

गर्भवती महिला को अपने खान-पान का पूरा ध्यान रखना चाहिए। वह अपनी भूख शांत करने के लिए ही खाना ना खाए। वह जो भी खाती है या पीती है इसका असर उसके पेट में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। इसलिए हर गर्भवती महिला को ऐसा आहार लेना चाहिए जो संपूर्ण आहार हो। गर्भावस्था के दौरान महिला को आयरन और कैल्शियम लेना बहुत आवश्यक होता है। इससे शरीर में खून की कमी नहीं होती है।

#5. खुद को हाइड्रेटेड रखें

गर्भवती महिला को हमेशा हाइड्रेटेड रहना चाहिए। उन्हें इस दौरान खूब पानी व जूस पीना चाहिए। शिशु गर्भ में एक थैली में एक द्रव्य से घिरा रहता है जिसको एमनीओटिक फ्लूइड कहते हैं और इसी से शिशु को ऊर्जा मिलती है। इसलिए आवश्यक है कि गर्भवती महिला को ऐसे समय में हर रोज नियमित रूप से 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए।

#6. प्रसव के बारे में सही जानकारी लें

जरुरी है कि आप प्रसव के बारे में सही जानकारी ही ले क्योंकि भ्रम फैलाने से और फैलते हैं। इसलिए गर्भवती महिला को प्रसव के बारे में ज्यादा से ज्यादा व सही जानकारी पाने की कोशिश करनी चाहिए।

#7. उठने बैठने की प्रक्रिया का ध्यान रखें

इस दौरान गर्भवती महिला को उठने बैठने से लेकर लेटने में सोने तक की स्थिति का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यह स्थिति गर्भ में पल रहे शिशु पर असर डालती हैं। इसलिए उन्हें अपने शरीर को सही स्थिति में रखने की कोशिश करनी चाहिए। आखिरी के महीने में उन्हें पैरों के पर ज्यादा बल नहीं डालना चाहिए और बैठते समय उन्हें अपने पेट को सही तरह से सहारा देना चाहिए।

#8. वजन नियंत्रित रखें

गर्भावस्था के दौरान वजन का बढ़ना एक सामान्य बात है लेकिन गर्भवती महिला का वजन बहुत ज्यादा भी नहीं बढ़ना चाहिए। वजन के ज्यादा बढ़ने से प्रसव के दौरान परेशानी हो सकती है।

#9. सही डॉक्टर का चुनाव करें

जब आप गर्भ धारण करती हैं तब आप किसी डॉक्टर को भी दिखाती होंगी। उस समय आपके लिए सही डॉक्टर का चुनाव करना बहुत आवश्यक है। इसलिए आप ऐसे डॉक्टर का चुनाव करें जो गर्भवती महिला के शरीर की स्थिति के बारे में भी सही जानकारी देता रहे व जो आपका भरोसेमंद हो।

सामान्य प्रसव के लिए व्यायाम (normal delivery ke liye exercises)

  • सुबह-शाम नियमित रूप से सैर करें।
  • हल्की फुल्की दौड़ लगाएं।
  • आप चाहे तो गर्भावस्था के दौरान व्यायाम की क्लास भी ज्वाइन कर सकती हैं।
  • बुखार होने पर व्यायाम ना करें।
  • ज्यादा देर तक व्यायाम ना करें, इससे आपको थकावट हो सकती है।
  • आप सामान्य प्रसव के लिए व्यायाम के साथ-साथ योगासन भी कर सकती हैं, जैसे कि मर्जरी योगासन, कोणासन, वीरभद्रासन, त्रिकोणासन, शवासन आदि।सामान्य प्रसव कैसे होता है?

Categories: गर्भावस्था, जटिलताएँ Tagged With: normal delivery, prasav, samanya prasav

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Search

Popular posts

  • बच्चों का वज़न बढ़ाने वाले 19 भोजन 16 views
  • How To Get Pregnant Fast: Best Tips and Practices to Conceive 13 views
  • Top 10 Exercises During Pregnancy for Normal Delivery 12 views
  • Bournvita, Complan and Horlicks – What is the minimum age and what do these contain? 11 views
  • Best Moral Stories for Kids- Must Read for Every Kid 9 views
  • जानिए आपके बच्चे के लिए टीकाकरण चार्ट शुरू से अंत तक 8 views
  • बच्चों में दस्त के इलाज के लिए 11 टिप्स और घरेलू नुस्खे 8 views
  • How To Pick The Perfect Baby Girl Name In India 7 views
  • कपडे की नैप्पी या डिस्पोजेबल डायपर्स – किसका चुनाव करें? 6 views
  • गोद भराई को कब कैसे व क्यों मनाते हैं? जाने सब कुछ 6 views

Categories

  • गर्भावस्था (7)
    • जटिलताएँ (3)
    • सलाह (5)
  • गर्भावस्था के बाद (1)
    • स्वास्थ्य और फिटनेस (1)
  • परिवार (3)
    • अनुभव (3)
  • बच्चा (8)
    • देखभाल (4)
    • विकास (3)
  • शिशु (11)
    • खाना (3)
    • देखभाल (6)
    • स्वास्थ्य (2)

  • Contact Us
  • Categories :
  • News Feed
  • |
  • Pregnancy
  • |
  • Baby
  • |
  • Toddler
  • Policies :
  • Privacy
  • |
  • Cancellation & Refund
  • |
  • Terms and Conditions
  • BabyGogo
  •  
  • BabyGogo
  •  
  • BabyGogo
  •  
  • BabyGogo
  •  
  • BabyGogo
Copyright (c) 2019. Addodoc Technologies. All Rights Reserved


Need Any Help With Parenting?


Talk to doctors, experts and parents like you for free!

Download Babygogo App