मातृत्व निरंतर सीखते रहने की प्रक्रिया है और महिलाओं के लिए उनकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा अनुभव है | मातृत्व के इस नए सफ़र में दूसरों की मदद लेना आम बात है और अक्सर बड़ों की मदद ली जाती है | जैसे जैसे आपका बच्चा बड़ा होता है, आपको उनमे आने वाले बदलावों का सामना करना पड़ता है | माँ बनने का मतलब है की अब आपको अपने और अपने बच्चे दोनों के बारे में सोचना है|
एक बार आप माँ बन गयी तो आपको हर तरफ से सलाह मिलेंगी | ज्यादातर समय माँ बिना सोचे-समझे इन सलाहों पर भरोसा कर लेती हैं | उन सलाहों को ना अपनाना आपके लिए बड़ो की संवेदनाओं पर सवाल उठाना बन सकता है |
यहाँ हम कुछ ऐसी ही ग़लतफ़हमियों के बारे में बात करेंगे –
#1 मिथक – जो भी माँ खाती हैं वो माँ के दूध को बढ़ाता है
सच्चाई :- आपको अपने बच्चे को अच्छी गुणवत्ता का दूध देने के लिए कोई परफेक्ट डाइट मेन्टेन करने की ज़रूरत नहीं है| रिसर्च के अनुसार माँ के खाने का बहुत कम असर उसके दूध पर पड़ता है|
माँ के दूध का निर्माण बच्चे को पोषण देने और उसे बिमारियों से बचाने के लिहाज़ से होता है | एक गरीब आहार से बच्चे की तुलना में सीधे माँ को प्रभावित करने की संभावना होती है | इसीलिए माँ जो चाहे वो खा सकती हैं लेकिन कोई भी अनहेल्दी चीज़ ना खाएं जिससे आपकी सेहत पर गलत असर पड़े | क्योंकि बच्चे का ख्याल रखने के लिए माँ का स्वस्थ होना जरुरी है |
#2 मिथक – माँ के दूध से कान का इन्फेक्शन ठीक हो सकते हैं
सच्चाई :- स्तन दूध आपके बच्चे के लिए पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है | लेकिन, कान के इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए इसे बच्चे के कान में डालना बिलकुल सही नहीं है |
माँ के दूध में कई सारी एंटीबाडीज मौजूद होती हैं लेकिन इसके साथ ही उसमे चीनी की मात्रा भी होती है जिसमे बैक्टीरिया आसानी से पैदा होते हैं | इसके कारण माँ के दूध को कान में डालने से गंभीर इन्फेक्शन हो सकता है |
#3 मिथक – बच्चे के बालों को शेव करना जिससे बेहतर बाल निकल आएं
सच्चाई :- बच्चे के बाल शेव करने से उनके बाल घने नहीं होंगे |इसका कारण यह है की बाल उन फोल्लिक्लेस से निकलने हैं जो स्कैल्प के निचे होते हैं |
जब बाल को शेव करते हैं तो बाहर के बाल निकल जाते हैं पर इससे अंदर के बालों पर कोई असर नहीं होता |अगर आप बच्चे के बाल घने करना चाहते हैं तो उन्हें आयरन फोलेट और विटामिन सी युक्त आहार दें |
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#4 मिथक – दाँत निकलने से बुखार होता है
सच्चाई :- दाँत निकलने के कारण बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है लेकिन बुखार किसी भी प्रकार से दाँत निकलने से जुड़ा हुआ नहीं है | दाँत निकलने के दौरान बच्चा हर चीज़ को मुँह में डाल लेता है इसके कारण इन्फेक्शन होने से उसे बुखार हो जाता है |
#5 मिथक – ठंड के दिनों में बच्चे को खूब सारे कपड़े पहनाना
सच्चाई :- चाहे कोई भी मौसम हो आपका बच्चा आपसे बस एक तह ज्यादा कपड़ों में सहज महसूस करता है | जरुरत से ज्यादा कपड़े पहनाने से बच्चा असहज और चिड़चिड़ा हो सकता है | बच्चे की गर्दन के पिछले हिस्से को चेक करें अगर वही हिस्सा सूखा और गर्म हो तो समझें की बच्चे ने सही कपड़े पहने हैं उससे इससे ज्यादा कपड़े पहनाने की जरुरत नहीं है |
#6 मिथक – बच्चे को रोने देना उसके फेफड़ो के लिए अच्छा है
सच्चाई :- रोना ही एकलौता तरीका है जिसके माध्यम से कई महीनो तक बच्चा अपनी बातों को व्यक्त करता है| जब तक उसे बोलना नहीं आ जाता|
इसीलिए बच्चे को रोटा छोड़ देना पेरेंटिंग का सही तरीका नहीं है | बच्चे को चुप कराना और रोने का कारण जानना ही सही तरीका है | चाहे कुछ भी हो रोने से कभी फायदा नहीं हो सकते |
#7 मिथक – बुखार के समय अल्कोहल से घिसना
सच्चाई :-बुखार के समय अल्कोहल से मालिस करने से बच्चा और बीमार पड़ सकता है |अल्कोहल बहुत जल्द भाप बन जाता है और शरीर को ठंडा कर देता है |अल्कोहल को सूंघने से फेफड़ों में घुटन हो सकती है |
#8 मिथक – सोने से पहले भारी भोजन बच्चे को लंबे समय तक सोने में मदद करता है
सच्चाई :- नवजात बच्चे बार बार खाते हैं और लंबे समय तक सोते हैं | वे ज्यादा से ज्यादा सोते और खाते हैं क्योंकि बाकी शरीर की तुलना में उनका पाचन तंत्र और नर्वस सिस्टम ज्यादा जल्दी विकास कर रहा होता है |
नवजात बच्चे थोड़ी मात्रा में दूध पीते हैं और उनका पेट तुरंत भर जाता है |ज्यादा दूध पिलाने से उनका पेट जरुरत से ज्यादा भर जाता है जिससे उनके पाचन तंत्र पर गलत असर पड़ सकता है |
संयम रखें और बच्चे में अच्छी आदतें डालें जैसे सही समय पर सोना | माँ का मतलब त्याग होता है इसीलिए अगर आपको बार बार रातों में जागना पड़े तो सब्र ना खोएं |आपको सोने के लिए बहुत समय मिलेगा जब एक बार आपके बच्चे को सही स्वस्थ्य मिल जायेगा |
#9 मिथक – वॉकर्स बच्चे की जल्दी चलने में सहायता करते हैं
सच्चाई :- वॉकर्स बच्चे की अपने आप चलने की क्षमता को कम कर देते हैं | वॉकर्स बच्चे को चलने में मदद करते हैं जबकि उनका शरीर इसके लिए तैयार नहीं होता जिसके चलते वो अजीब तरीके से चल सकते हैं या अपने मसल्स पर नियंत्रण खो सकते हैं | बच्चे अपने पैरों और तलवों को देखकर चलना सीखते हैं |
#10 मिथक – गेहूं के आटे और दूध की मालिस करने से शरीर के अतिरिक्त बाल निकल जाते हैं
सच्चाई :- चेहरे और शरीर के अतिरिक्त बाल बच्चे की जीन्स के कारण होते हैं और इसके लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते | गेहूं के आटे, बेसन और दूध का उबटन लगाने से ये बाल कम होते हैं इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है |
कच्चे दूध की मालिस करने से अलग अलग प्रकार के बैक्टीरिया का विकास हो सकता है जैसे इ.कोली और साल्मोनेला, जिसके कारण डायरिया हो सकता है | साथ ही उबटन लगाने, उसे सुखाने और निकालने के कारण बच्चे को दर्द होता है और उन्हें ये बिलकुल पसंद नहीं आते |
इसलिए यदि आप ऐसे किसी भी मिथक का पालन करते हैं, तो उनका पालन करना बंद कर दें ।
जितना संभव हो उतने माता-पिता के साथ शेयर करें ।
लेखक के बारे में :
यह लेख निवेदिता ने लिखा है । वह बायोटेक स्नातक है और उनकी शादी 2013 में हुई थी। वह एक प्यारे बच्चे की माँ है। वह घर पर रहती है और अपने प्यारे बच्चे के साथ समय का आनंद लेती है।
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